उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025 को शाम 7 बजकर 30 मिनट 10 सेकंड पर भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. भारतीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 मैग्नीट्यूड मापी गई. भूकंप का केंद्र 31.15 अक्षांश और 77.99 देशांतर पर स्थित था, जो उत्तरकाशी जिले के अंतर्गत आता है. इसकी गहराई जमीन से मात्र 5 किलोमीटर नीचे रही.
20 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी में जो भूकंप आया था, वह आज भी स्थानीय जनता के लिए एक त्रासदी की तरह याद किया जाता है. उस समय भूकंप की तीव्रता 6.6 मैग्नीट्यूड थी और इससे हुए नुकसान ने पूरे देश को झकझोर दिया था. करीब 768 लोगों की जान चली गई, 5,066 लोग घायल हुए, और 20,184 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे. 74,000 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा था, और कई इलाकों में भूस्खलन से भी जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ था. उस भूकंप के झटके दिल्ली तक महसूस किए गए थे.
उत्तरकाशी हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जहां टेक्टॉनिक प्लेट्स की गतिविधियाँ अधिक होती हैं. इसी वजह से यह इलाका भूकंप के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माना जाता है. 1991 के बाद भी कई बार इस क्षेत्र में छोटे-मोटे झटके महसूस किए गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भूकंप से निपटने के लिए इस क्षेत्र में स्थायी आपदा प्रबंधन प्रणाली, मजबूत निर्माण मानक और लोगों को जागरूक करने वाली पहल ज़रूरी हैं.
हालिया भूकंप की घटना भले ही बड़ी आपदा में तब्दील नहीं हुई, लेकिन यह हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सचेत रहने का संदेश जरूर देती है. उत्तरकाशी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों मं छोटे झटके भी बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं. स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह सभी जरूरी सुरक्षा उपाय, जैसे कि भवनों की जांच, भूकंप सुरक्षा ड्रिल और लोगों को जानकारी देने के काम को प्राथमिकता दे.
