कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर शुक्रवार देर शाम एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। जजरेड़ के समीप पराली (धान की ठूंठ) से लदी एक चलती यूटिलिटी में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते वाहन आग की लपटों में घिर गया। वाहन में सवार दोनों लोगों ने किसी तरह कूदकर अपनी जान बचाई, लेकिन वाहन पूरी तरह जलकर राख हो गया। आग की सूचना पर मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शुक्रवार शाम करीब साढ़े चार बजे के आसपास कालसी-चकराता मार्ग पर जजरेड़ के पास एक यूटिलिटी वाहन पराली से भरा हुआ गुजर रहा था। अचानक वाहन के पिछले हिस्से से धुआं उठने लगा। कुछ ही देर में आग की लपटें उठीं और उन्होंने पूरी गाड़ी को अपनी चपेट में ले लिया।
ड्राइवर ने जैसे ही आग देखी, वाहन को सड़क किनारे रोकने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि दोनों सवारों को गाड़ी से कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत सड़क पर यातायात रोक दिया और दमकल विभाग को सूचना दी।
सूचना मिलते ही कालसी फायर स्टेशन की टीम मौके पर पहुंची। फायर अधिकारी ने बताया कि वाहन में भरी सूखी पराली और तेज हवा के कारण आग तेजी से भड़क रही थी। आग इतनी भीषण थी कि गाड़ी के टायर, इंजन और लोहे का ढांचा भी बुरी तरह पिघल गया। करीब 20 मिनट की मशक्कत के बाद फायर टीम ने आग पर काबू पाया। हालांकि तब तक गाड़ी पूरी तरह जल चुकी थी।
फायर अधिकारी ने बताया कि यदि आसपास कोई और वाहन या झोपड़ी होती, तो आग फैलने से बड़ा नुकसान हो सकता था। स्थानीय लोगों की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया।
घटना की प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि आग यूटिलिटी के इंजन से उठी चिंगारी या निकास पाइप (सिलेंसर) से निकले गर्म धुएं के कारण लगी हो सकती है। पराली अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ होती है, इसलिए मामूली स्पार्क या गर्म हवा से भी उसमें आग लग सकती है।
कई बार चालक लोडिंग के दौरान इंजन चालू छोड़ देते हैं, जिससे गर्म पाइप पराली के संपर्क में आ जाती है और आग भड़क जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह के हादसे से बचने के लिए वाहन में पराली लादते समय इंजन पूरी तरह बंद होना चाहिए और सिलेंसर पाइप को ढकने के लिए लोहे की जाली या प्लेट लगानी चाहिए।
