विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड के प्रगतिशील कृषक भूपेंद्र जोशी को पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘प्लांट जीनोम सेवियर कृषक पुरस्कार 2022-23’ से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन कृषकों को दिया जाता है, जिन्होंने देश की फसलों के संरक्षण, संवर्धन और सुधार में उल्लेखनीय योगदान दिया है. इस पुरस्कार में 1.5 लाख रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह शामिल है.
सम्मान समारोह का आयोजन 12 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में किया गया, जहां कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एमएल जाट और प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. टी. महापात्रा और रजिस्ट्रार डॉ. डीके अग्रवाल की उपस्थिति में यह सम्मान प्रदान किया गया.
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अल्मोड़ा के हवालबाग गांव निवासी ग्राम भुवन जोशी पिछले कई वर्षों से उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि प्रणाली को सहेजने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने अब तक 88 पारंपरिक फसल प्रजातियों (Landraces) का संरक्षण किया है, जिनमें 30 धान, 12 दलहन, 7 श्री अन्न (कदन्न फसलें), 3 गेहूं, 2 जौ, 2 मक्का, 2 चौलाई, 18 सब्जियां, 4 मसाले और 6 तिलहन फसलें शामिल हैं.
भुवन जोशी द्वारा संरक्षित कई देशज किस्में जैसे रामना लाल धान, काला चपटा भट्ट (सोयाबीन) और भूरा गहत (कुल्थी) शामिल है. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों के साथ सहयोग में अन्य किस्में भी उन्नत रूप में विकसित की जा रही हैं. उन्होंने पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली में सात फसलों के पंजीकरण के लिए आवेदन किए हैं, जिनमें से पांच धान और दो मंडुआ की किस्में पंजीकृत हो चुकी हैं.
संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने इस उपलब्धि को उत्तराखण्ड के कृषकों के लिए प्रेरणास्रोत बताया. वहीं, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुराधा भारतीय ने कहा कि भुवन जोशी द्वारा साझा किए गए जर्मप्लाज्म से कई सुधार कार्यक्रमों को नई दिशा मिली है.
यह सम्मान पर्वतीय कृषकों के परंपरागत ज्ञान और वैज्ञानिक सहयोग के संगम का प्रतीक बन गया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी और जैव विविधता-आधारित कृषि का मार्ग प्रशस्त करेगा.
